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लेखनी कहानी -31-May-2023 जमूरे का भविष्य

डुगडुगी की जैसे ही आवाज सुनाई दी, बंटू, बबलू, पिंकी और गुड्डी दौड़कर मौहल्ले के चौराहे पर आ गये । वहां पर एक मदारी अपने एक जमूरे को साथ में लेकर डुगडुगी बजा रहा था । जमूरा जो एक पांच छ : साल का बच्चा था गोल घेरे में घूम घूमकर सबको हाथ जोड़कर नमस्ते कर रहा था । जादूगर की डुगडुगी बजती रही और घरों से बच्चे निकल निकल कर वहां आते रहे । 
"देखना, अब खेल शुरू हो जाएगा" बंटू बोला 

"अभी तो पूरा मजमा ही नहीं जमा है । जब पूरा मजमा नहीं जमेगा तब तक खेल चालू नहीं होगा" । बबलू ने बंटू की बात का प्रतिकार किया ।

बबलू बंटू से डेढ़ साल बड़ा था इसलिए उसका तजुर्बा ज्यादा था । पिंकी और गुड्डी छोटी थीं । गुड्डी तो दो ढाई साल की ही थी बस । वह हर बात पर खिलखिला पड़ती थी । उसके हंसते ही ऐसा लगता था जैसे सारा संसार खिलखिला रहा है । उसकी खिलखिलाहट देखकर उदास आदमी भी प्रसन्नता से भर जाता था । 


पर आज जमूरे के चेहरे पर हंसी नहीं थी । उसका चेहरा बता रहा था कि वह कुछ परेशान है । परेशानी क्या है यह तो गली का जादूगर ही जानता होगा । वह जादूगर इस मौहल्ले में खेल दिखाने आता ही रहता था । बच्चे भी उससे खूब हिलमिल गये थे । बच्चे जमूरे को जमूरा ही कहते थे । जमूरे को उदास देखकर बच्चे भी उदास हो गये ।  जमूरे को गुमसुम देखकर बंटू बोला 


"आज खेल का मजा नहीं आयेगा" 


"पर क्यों" ? पिंकी ने निराशा के साथ पूछा 


"देखती नहीं कि वो जमूरा कितना गुमसुम सा है ? जब वो खुद उदास है तो औरों को क्या हंसाएगा" ? बबलू ने अपने बड़े होने का अर्थ बताते हुए कहा । 


इन "विद्वानों" की बहस न्यूज चैनल्स की बहस जैसी चलती उससे पहले ही जादूगर ने अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया । सब बच्चे खेल देखने में मस्त हो गए । जादूगर अलग अलग खेल दिखा रहा था और बच्चे तालियां बजा बजाकर अपनी प्रसन्नता का इजहार कर रहे थे । 


लेकिन बबलू प्रसन्न नहीं था । बबलू के दिमाग में जमूरे का उदास चेहरा घूम रहा था । "पांच छ: साल का ही तो है जमूरा और अभी से ही काम धंधा करने के लिए बैठा दिया है उसे ? कितने निर्दयी मां बाप हैं ये ? अभी तो उसकी पढने लिखने की उम्र है और अभी से ही उस पर इतना बोझ ? बहुत नाइंसाफी है ये तो । अगर इसी तरह ये खेल दिखाता रहेगा तो इसका भविष्य क्या होगा ? ये भी गली का एक जादूगर बन जाएगा" । बबलू सोचने लगा । 


जादूगर ने अब जमूरे के पेट में चाकू मार दिया था । जमूरा धरती पर गिरकर तड़पने का नाटक करने लगा । पापी पेट का सवाल बता कर जादूगर ने सब बच्चों से कहा "जाओ बच्चो , अपने अपने घर से अनाज, आटा , दाल , रोटी या पैसे ले आओ । हम दोनों दो दिन से भूखे हैं । जब तक तुम ये सब सामान नहीं लाओगे तब तक ये जमूरा ऐसे ही तड़पता रहेगा" । जादूगर ने अपना हाथ जोर से दबाया तो जमूरा और जोर जोर से कराहने लगा । 


सब बच्चे अपने अपने घरों की ओर दौड़ पड़े । बबलू, बंटू, पिंकी और गुड्डी भी अपने घर आ गये । सब बच्चे अपनी मम्मी से लिपट गये और बोले "मम्मी मम्मी , उस जादूगर को कुछ दे दो ना । देखो, जमूरा कैसा तड़प रहा है । दो दिन से उसने कुछ खाया नहीं है । जब तक आप कुछ दोगी नहीं तब तक वह ऐसे ही तड़पता रहेगा" । बंटू बोला । 


"हां मम्मी । आज जमूरा उदास भी है" गुड्डी अपनी तोतली बोली में बोली । 


"ठीक है , मैं लाती हूं" । कहती हुई मम्मी किचन में चली गई । जब वह वापस आई तो उसके हाथ में एक रोटी थी, एक कटोरे में अनाज था और कुछ पैसे थे । बोली "एक एक आइटम सब ले लो और जाकर उस जमूरे को दे आओ । अब तो खुश हो ना तुम लोग" ? उन आइटम्स को देखकर बच्चे खुश हो गये और सब बच्चों ने एक एक आइटम ले लिया । 


बबलू दौड़कर अपने कमरे में गया और अपनी प्ले स्कूल की एक किताब जिसमें "अब से अनार" , "आ से आम" वगैरह लिखा था , लेकर आ गया । सब बच्चे जादूगर के पास आ गये और जमूरे के हाथ में अपना अपना आइटम रखने लगे । 


बबलू ने जमूरे के हाथ पर वह "अ से अनार" वाली एक छोटी सी किताब रख दी । उसे देखकर जमूरा फूल सा खिल गया । जमूरे ने अपने हाव भाव से बता दिया था कि वह भी पढ़ना चाहता है । जादूगर ने इस सीन को देखा तो वह भी खुश हो गया और उसने बबलू का माथा सूंघकर उसे ढेरों आशीर्वाद दिये । बबलू की और जमूरे की दोस्ती हो गई थी । बबलू ने जमूरे का भविष्य तय कर दिया । 


श्री हरि 


31.5.23 


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5 Comments

madhura

25-Jun-2023 11:37 AM

good one

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kashish

17-Jun-2023 04:33 PM

very well says

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Aliya khan

01-Jun-2023 12:46 AM

शिक्षा देती आपकी कहानी बहुत ही अच्छे तरीके से प्रस्तुत की है

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